महिला सब इंस्पैक्टर के विरूद्ध एस0एस0पी0 व आई0जी0 के आदेश निरस्त
उत्तराखंड सर्विस ट्रिव्युनल ने अधिकारियों के विरोधाभासी कथनों के आधार पर किया आदेश
संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की पीठ ने उधमसिंह नगर जिले में तैनात रही, वर्तमान में जी0आर0पी0 थाना काठगोदाम के अन्तर्गत तैैनात महिला सब इंस्पैक्टर सरोज काम्बोज के विरूद्ध एस0एस0पी0 उधमसिंह नगर के दण्डादेश तथा आई0जी0 कुुमाऊं के अपील आदेश को निरस्त कर दिया।
वर्तमान में जी0आर0पी0 थाना काठगोदाम के अन्तर्गत जी0आर0पी0 चौैकी इंचार्ज काशीपुर के पद पर कार्यरत पुलिस सब इंस्पैैक्टर सरोज काम्बोज की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने लोक सेवा अधिकरण की नैैनीताल पीठ में सितम्बर 2020 में याचिका सं0 63 दायर की थी। इसमें कहा गया था कि जब सरोज काम्बोज थाना बाजपुर में कार्यरत थी तो उन्हें एफ0आई0आर0 संख्या 420/18 की धारा 376/420/504/506 आई0पी0सी0 की तफ्तीश सौंपी गयी। उन्हेें सौैंपी गयी कुल 29 गंभीर मुकदमों की तफ्तीशों तथा चैैती मेला सहित विभिन्न अन्य कानून व्यवस्था की ड्यूटी सहित पूरी कर्मठता व लगन से अपने कर्तव्यों का पालन किया। लेकिन तत्कालीन एस0एस0पी0 ने प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें विवेचना (तफ्तीश) में देरी के आधार पर कारण बताओं नोटिस दिया तथा उनके द्वारा डाक सेे भेेजेे गये नोेटिस केे जवाब पर विचार किये बगैर ही यह मानते हुये कि उन्हें अपने बचाव मेें कुछ नहीं कहना हैै तथा कारण बताओ नोटिस में प्रस्तावित परिनिन्दा लेख का दण्ड उन्हें मान्य हैै, उनके विरूद्ध उनकी चरित्र पंजिका में परिनिन्दा लेख अंकित करने का आदेश सं0 43/2019 दिनांक 26 फरवरी 2019 दे दिया। श्रीमति काम्बोज ने इसकी अपील आई0जी0 कुमाऊं को की। उन्होंने भी इसे बिना किसी वैध आधार के खारिज कर दिया। इसके बाद नदीम ने उनकी ओर से उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैैनीताल पीठ में याचिका दायर की तथा उक्त आदेशों को निरस्त करने की प्रार्थना की गयी।
नदीम द्वारा दायर याचिका के उत्तर में सरकार व पुलिस विभाग की ओर से पुलिस उपाधीक्षक उधमसिंह नगर आशीष भारद्वाज द्वारा प्रति शपथपत्र (काउंटर एफिडेविट) फाइल किया गया जिसमें एस0एस0पी0 व आई0जी0 के आदेशों को सही बताते हुए याचिका खारिज करने की प्रार्थना की गयी। इस शपथ पत्र में सब इंस्पैक्टर के लिखित स्पष्टीकरण में कोई बल न पाते हुये आदेश करने का स्पष्ट उल्लेख किया।
याचिका पर सुनवाई ट्रिब्युनल के उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता की पीठ में हुई। जिसमें याचिकाकर्ता सब इंस्पैैक्टर की ओर से नदीम उद्दीन एडवोकेट ने बिना नोेटिस के जवाब पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किये गये एस0एस0पी0 के दण्डादेश व इसे सही घोषित करने वाले आई0जी0 के अपील आदेश को अवैैध व प्राकृतिक न्याय सिद्धांतोें का उल्लंघन बताते हुये इसे निरस्त करने की प्रार्थना की गयी। इसके विरूद्ध सरकार व विभाग की ओर से ए0पी0ओ0 ने नोटिस का उत्तर न मिलने पर बल देते हुए आदेशों को सही बताया तथा याचिका निरस्त करने की प्रार्थना की। उन्होेंने कहा कि फाइल में नोटिस का जवाब उपलब्ध नहीं हैै।
नदीम ने तर्क दिया कि आई0जी0 कुमाऊं नेे अपने अपील आदेश में विभिन्न स्थानों पर एस0एस0पी0 द्वारा अपीलार्थी सब इंस्पैक्टर के जवाब पर न केवल गहनतापूर्वक अध्ययन व परिशीलन करने का उल्लेख किया गया बल्कि एक स्थान पर तो विधिक राय प्राप्त कर गहनतापूर्वक अध्ययन एवं परिशीलन करने के उपरान्त आदेश जारी करना भी लिखा है। इससे स्पष्ट प्रमाणित हैै कि नोटिस का जवाब एस0एस0पी0 को आदेश करने से पूर्व ही प्राप्त हो गया हैै।
नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये सर्विस ट्रिव्युनल के उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता ने आदेशों में विरोधाभास मानते हुये दण्डादेश तथा आई0जी0 के अपील आदेश को निरस्त होने योग्य माना तथा उन्हें अपने निर्णय व आदेश दिनांक 21 मार्च 2022 से निरस्त कर दिया। ट्रिब्युुनल ने मामले को नोटिस के जवाब पर विचार करते हुये कानून के अनुसार नये सिरे से आदेश के लिये एस0एस0पी0 को भेज दिया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया हैै कि यदि याचिकाकर्ता को इस नये आदेश में कोई दण्ड दिया जाता हैै तो उसे नियमानुसार अपील करने का अधिकार होगा।