सोमवार, 11 अप्रैल 2022

किसे लगवानी चाहिए कोरोना की बूस्टर डोज

 किसे लगवानी चाहिए कोरोना की बूस्टर डोज



देश में 18 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाई जा रही

कोरोना के नए-नए वैरिएंट ने बूस्टर डोज की जरूरत को और बढ़ा दिया

एक्सपर्ट मानते हैं कि हर 6 महीने में बूस्टर डोज देनी चाहिए

प0नि0ब्यूरो

नर्द दिल्ली। भारत में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगनी शुरू हो गई है। भारत में इस प्रीकाशन डोज या एहतियाती खुराक नाम दिया गया है। पिफलहाल 18 से 59 साल के लोगों को प्राइवेट सेंटर पर ही वैक्सीन की तीसरी डोज लगाई जा रही है। इस उम्र के लोगों को तीसरी डोज के लिए पैसे खर्च करने होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दूसरी डोज के 9 महीने बाद बूस्टर डोज लगवा सकते हैं। 

बूस्टर डोज लगाने का पफैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि कई स्टडी में सामने आया है कि समय के साथ कोरोना के खिलापफ इम्युनिटी कम होने लगती है। ऐसे में इस इस इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज जरूरी है। प्रफांस में 80 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन की चौथी डोज लगनी शुरू हो गई है। इजरायल में भी जनवरी से चौथी डोज लगाई जा रही है।

एक्सपर्ट यही मानते हैं कि कोरोना महामारी को काबू में करने के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज जरूरी है। एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि जब तक महामारी खत्म नहीं हो जाती, तब तक हर 6 महीने के अंतर पर डोज देनी चाहिए। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब 18 साल से ऊपर के सभी लोग कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज लगवा सकते हैं। तीसरी डोज ऐसे लोग सकवा सकते हैं, जिन्हें दूसरी डोज लगे 9 महीने पूरे हो गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना वैक्सीन लगवाने की सलाह दी है। देश में जब कोरोना वैक्सीन का अभियान शुरू हुआ था, तब भी वैक्सीन को गर्भवती महिलाओं को लेकर चिंता थी। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने बाकायदा एक पूरा दस्तावेज जारी किया था, जिसमें गर्भवती महिलाओं की चिंता से जुड़े सारे सवाल-जवाब थे। 

इस दस्तावेज के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि ज्यादातर गर्भवती महिलाएं बिना लक्षण या बेहद हल्के लक्षण वाली बीमारी से ग्रसित होती हैं, लेकिन इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है और भ्रूण पर असर पड़ सकता है इसलिए कोरोना से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को भी वैक्सीन लगवानी चाहिए। 

18 से 59 साल की उम्र के लोग अभी प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर से ही बूस्टर डोज लगवा सकते हैं। उनके लिए अभी सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर में बूस्टर डोज की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं, 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग, प्रफंटलाइन और हेल्थकेयर वर्कर्स प्राइवेट के साथ-साथ सरकारी सेंटर से भी तीसरी डोज ले सकते हैं।

60 साल से ऊपर वाले बुजुर्ग अगर सरकारी सेंटर से तीसरी डोज लेते हैं तो उन्हें कोई खर्च नहीं करना होगा। यहां उन्हें मुफ्रत में बूस्टर डोज लगाई जा रही है। वहीं 18 से 59 साल की उम्र के लोगों को सिपर्फ प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर में ही बूस्टर डोज लग रही है। यहां बूस्टर डोज लगवाने के लिए पैसा खर्च करना होगा। 

सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन कोविशील्ड की कीमत घटाकर 225 रुपये कर दी है। वहीं भारत बायोटेक ने भी कोवैक्सीन की कीमत को 1200 से घटाकर 225 रुपये कर दिया है। सरकार के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल 150 रुपये से ज्यादा का सर्विस चार्ज नहीं ले सकते हैं। यानी अगर आप तीसरी डोज लगवाते हैं तो 375 रुपये खर्च करने होंगे। 

पहली दो डोज जिस वैक्सीन की लगी होगी, तीसरी डोज भी उसी वैक्सीन की लगेगी। अभी सरकार मिक्स एंड मैच वैक्सीन को अनुमति नहीं दी है। यानी अगर पहली दो डोज कोविशील्ड की ली है तो तीसरी डोज भी कोविशील्ड की ही लगाई जाएगी। इसी तरह अगर पहली दो डोज कोवैक्सीन की लगी है तो तीसरी डोज भी कोवैक्सीन की ही लगेगी। 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सापफ किया है कि बूस्टर डोज या प्रीकाशन डोज के लिए पिफर से रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोविन पर आपका अकाउंट पहले से बना हुआ है। आपने पहली और दूसरी डोज कब लगवाई है, इस अकाउंट में दर्ज है। अगर आपको दूसरी डोज लिए 9 महीने पूरे हो गए होंगे तो आपके पास कोविन से एक मैसेज भेजा जाएगा। इस मैसेज के आने के बाद आप केाविन पर जाकर वैक्सीन के लिए स्लाट बुक कर सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि तीसरी डोज के लिए आपफलाइन स्लाट भी बुक किया जा सकता है।

देश में जब 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों, प्रफंटलाइन और हेल्थकेयर वर्कर्स को बूस्टर डोज लगनी शुरू हुई थी, तब नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ डा0 आरएस शर्मा ने बताया था कि जिस तरह पहली और दूसरी डोज लगवाने के बाद वैक्सीनेशन का सर्टिपिफकेट मिला था, उसी तरह बूस्टर डोज का सर्टिपिफकेट भी मिलेगा। 

दुनियाभर के वैज्ञानिक चेता चुके हैं कि कोरोना के खिलापफ वैक्सीन से बनी इम्युनिटी कुछ महीनों बाद कम होने लगती है। ऐसे में बूस्टर डोज जरूरी है। कोरोना लगातार अपने रूप बदल रहा है और उसके नए-नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं, इसने बूस्टर डोज की जरूरत और बढ़ा दी है।

बूस्टर डोज को लेकर एक्सपर्ट की राय अलग-अलग है। वायरोलाजिस्ट डा0 गगनदीप कांग का कहना है कि बूस्टर डोज को लेकर अभी हमारे पास बहुत ज्यादा डेटा नहीं है। वहीं मेदांता मेडिसिटी के चेयरमैन डा0 नरेश त्रोहन का मानना है कि जब तक महामारी खत्म नहीं हो जाती, तब तक हर 6 महीने में बूस्टर डोज देनी चाहिए।

दुनियाभर में कई स्टडी में बूस्टर डोज असरदार साबित हुई है। भारत में भी बूस्टर डोज को लेकर हुई स्टडी के नतीजे अच्छे सामने आए हैं। 29 मार्च को राज्यसभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्राी डा0 भारती पवार ने बताया था कि कोवैक्सीन की बूस्टर डोज के प्रभाव को जांचने के लिए आईसीएमआर ने एक स्टडी की थी, जिसमें तीसरी डोज के बाद कोरोना के खिलापफ एंटीबाडी बढ़ने की बात सामने आई थी।

उन्होंने बताया था कि एस्ट्राजैनेका या कोविशील्ड की तीसरी डोज को लेकर अंतरराष्ट्रीय डेटा जो सामने आया है, उसके मुताबिक इस वैक्सीन की तीसरी डोज के बाद एंटीबाडी में 3 से 4 गुना की बढ़ोतरी हुई है।

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