शनिवार, 23 अप्रैल 2022

प्रदेश में विद्युत कटौती सरकार की बहुत बड़ी नाकामी: मोर्चा

 प्रदेश में विद्युत कटौती सरकार की बहुत बड़ी नाकामी: मोर्चा   


                          

# बिजली पर आश्रित कारोबारियों का रोजगार पड़ा मंद  # काश सरकार ने वितरण एवं लाइन लॉसेस कम करने पर की होती कसरत       
# सरकार ने उद्योगों की तोड़ दी कमर, यही हाल रहा तो उद्योगपति समेट लेंगे कारोबार          
# मोर्चा द्वारा लगातार आगाह करने के बाद भी नहीं जागी सरकार 
संवाददाता 
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि सरकार की अदूरदर्शिता एवं लापरवाही की वजह से भयंकर गर्मी के दिनों में जनता को विद्युत कटौती की वजह से मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक की बिजली पर आश्रित कारोबारियों एवं उद्योगपतियों को अपना कारोबार/उद्योग बंद कर इसकी वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ रही है, जिसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है।           
नेगी ने कहा कि मोर्चा पिछले कई माह से लगातार सरकार से वितरण एवं ए टी एंड सी हानियां यानी लाइन लॉसेस कम करने के लिए चेताता रहा, लेकिन सरकार सोई रही। वर्ष 2019-20 में वितरण हानियां 13.40 फ़ीसदी तथा ए टी एंड सी हानियां 20.44 फीसदी थी।  मोर्चा के अथक प्रयास से बामुश्किल दो फ़ीसदी ही लाइन लॉसेस कम हो पाई। सरकार की अनुभव हीनता का परिणाम आज जनता को भुगतना पड़ रहा है. कर्ज के सहारे चल रहे प्रदेश को बहुत महंगी दर पर बिजली खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है, जोकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को चौपट किया जा रहा है।      
नेगी ने कहा कि उत्तराखंड की धरती पर बड़ी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित हैं तथा हर वक्त उत्तराखंड का जनमानस अपनी जान जोखिम में डाले रहता है; बावजूद इसके ऊर्जा प्रदेश के लोगों को बिजली कटौती का सामना करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।         
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि प्रशासन व विद्युत विभाग के अधिकारियों को दिन दिन-रात युद्ध स्तर पर लाइन लॉसेस कम करने को उनकी नकेल कसें। 
पत्रकार वार्ता में अमित जैन व गुरविंदर सिंह मौजूद थे।

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