बुधवार, 24 जुलाई 2019

डिफाल्टर को ईनाम के तौर पर टेंडर देने की तैयारी 

श्रीलंकाई कंपनी जवानों को सप्लाई करती रही घटिया जैकेट
डिफाल्टर को ईनाम के तौर पर टेंडर देने की तैयारी 
संवाददाता
देहरादून। रक्षा मंत्रालय द्वारा जिस कंपनी को घटिया माल की आपूर्ति करने के आरोपों में ब्लैकलिस्ट करना चाहिए था, मंत्रालय ने उसी श्रीलंकाई कंपनी को सपफल आपूर्तिकर्ता की श्रेणी में रखकर नया टेंडर देने की तैयारी कर ली है। गौर हो कि लद्दाख और सियाचीन जैसे इलाकों में तैनात सैनिकों को कड़ाके की ठंड और बर्फीले तूपफान में पहनने के लिए दी जाने वाली जैकेट की सप्लाई से जुड़े इस घोटाले की 2014 से ही शिकायतें आ रहीें थी। सियाचिन में तैनात जवान इस कंपनी की घटिया जैकटों की शिकायतें रक्षा मंत्रालय और पीएमओ से करते रहे लेकिन रक्षा मंत्रालय के मास्टर जनरल आपफ आर्डिनेंस ब्रांच यानि एमजीओ के अधिकारियों की मिलीभगत से इस घोटाले को दबाया जा रहा है।


एमजीओ के ताजा खरीद अनुबंध के बाद उसपर जवानों के लिए घटिया क्लोदिंग और उपकरणों की खरीद-पफरोख्त के आरोप नए सिरे से लग रहें है। बता दें कि सियाचिन में तापमान शून्य से माइनस 50 डिग्री तक होता है। वहां तैनात जवानों को बपर्फीले तूपफान व ठंड से बचाने के लिए उन्हें हल्के भार की थ्री लेयर जैकेट दी जाती हैं। 
यूपीए-2 के कार्यकाल में वर्ष 2009 के दौरान एमजीओ ने एक टेंडर के जरिए श्रीलंकाई कंपनी रेनवियर प्रा0लि0 को 2012-14 तक इन जैकटों के 60 हजार पीस की सप्लाई का ठेका दिया। 2012 में पहली खेप में सप्लाई जैकेट की क्वालिटी ठीक थी लेकिन उसके बाद 2013-14 में जो जैकेट सप्लाई की गई वे पफेदर टच की जगह बेहद घटिया मैटीरियल से तैयार की गई थी। उस दौरान इनका इस्तेमाल करने वाले जवानों ने सेना मुख्यालय में शिकायती पत्रा भेजकर आरोप लगाया था कि जो जैकेट मिली है वे न विंड प्रुफ है न वाटर प्रुफ है।  
रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा उत्पादन विभाग के गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय ने जब इन शिकायतों पर रेनवियर प्रा0लि0 की जैकेटों की प्रयोगशाला जांच कराई तो जैकेट घटिया क्वालिटी की होने के आरोप सही पाए गए। जिसके बाद निदेशालय ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा के साथ रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी।
हरिद्वार निवासी एक सीनियर सिटीजन आरएम डबराल ने भी रक्षामंत्राी को शिकायती पत्रा लिखकर रेनवियर प्रा0लि0 कंपनी द्वारा सप्लाई की गई जैकेटों की घटिया क्वालिटी के बारे में आगाह करते हुए जांच की मांग की थी। उन्होंने पत्रा में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी का उल्लेख करते हुए कंपनी से उनकी मिलीभगत और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए। रक्षा मंत्रालय ने 19 दिसंबर को डबराल को भेजे अपने पत्रा संख्या बी/82253/ कंपलेंट/एमजीओ में आश्वस्त किया कि शिकायत की जांच की जाएगी और भविष्य में 2017 के स्टैन्डर्ड मानक से सामान आपूर्ति करने वाली कंपनी से ही सामान की खरीद-फरोख्त की जाएगी। 


डबराल के मुताबिक श्रीलंकाई कंपनी के रसूख के कारण न केवल उसे ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा वाली जांच रिर्पाेट को दबा दिया गया बल्कि उसके बाद एमजीओ ने जुलाई 2017 में पिफर से इसी कंपनी को तत्काल आपूर्ति की मांग करते हुए 285 डालर प्रति जैकेट के हिसाब से 30 हजार जैकेटों आर्डर दे दिया। डबराल कहते है कि 2017 की अवधि में सिंगापुर की एक कंपनी को भी कुछ ऐसी ही जैकेटों का ठेका मिला जो कीमत में भी कम थी और गुणवत्ता जांच में भी सही पायी गई थी। उस कंपनी को एमजीओ ने ठेका नही दिया।


जवानों को खराब गुणवत्ता वाली जैकेट सप्लाई करने का मामला संज्ञान में आने के बाद 2 जुलाई को मोदी सरकार में महिला कल्याण मंत्राी रीता बहुगुणा ने भी रक्षामंत्राी को एक पत्रा लिखा है जिसमें श्रीलंकाई कंपनी के बारे में डबराल की शिकायत सुनकर उसपर अमल कराने के लिए कहा गया है। लेकिन हाल ही में 22 जून को एमजीओ ने पिफर से ऐसी ही जैकेटों का टेंडर जारी किया है। इसमें भी श्रीलंका की रेनवियर कंपनी को सफल और सक्षम आपूर्तिकर्ता कंपनी की श्रेणी में रखकर टेंडर देने के लिए चयन की कंपनी मानकर सलेक्ट कर लिया है। 
यह भी संभव है कि रक्षा मंत्रालय से इस कंपनी को अगला टेंडर देने की खबर आ जाये लेकिन सवाल है कि जिस मोदी सरकार ने यूपीए सरकार में सेना के नाम पर लूट खसोट के आरोप लगाए थे वहीं सरकार पिछले 5 सालों में एक विदेशी कंपनी द्वारा मोटी रकम लेकर भी जवानों को घटिया जैकेट सप्लाई करने के रैकेट को नहीं रोक पायी।


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