शनिवार, 28 सितंबर 2019

जमीन के हर टुकड़े की होगी अपनी पहचान

जमीन के हर टुकड़े की होगी अपनी पहचान, मिलेगा यूआईडी नंबर



ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनीक लैंड पार्सल नंबर सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है। यह नंबर सर्वे किए गए हर प्लॉट को दिया जाएगा। इस कदम से जमीन के मालिकाना हक में गड़बड़ी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
एजेंसी
नई दिल्ली। देश में जमीन को जल्द ही एक यूनीक आइडेंटिटी नंबर दिया जाएगा। इस कदम से जमीन के मालिकाना हक में गड़बड़ी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनीक लैंड पार्सल नंबर के सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह नंबर सर्वे किए गए हर प्लॉट को दिया जाएगा।
यूनीक आइडेंटिटी नंबर में प्लॉट के साइज और मालिकाना हक के विवरणों सहित राज्य, जिला, तहसील, तालुका, ब्लॉक और सड़क की जानकारी होगी। अधिकारी ने कहा कि यूनीक लैंड पार्सल नंबर को बाद में आधार और रेवेन्यू कोर्ट सिस्टम से लिंक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार का मानना है कि सभी जमीनों को यूनीक आइडेंटिटी नंबर देने से रियल एस्टेट ट्रांजैक्शंस में आसानी होगी, प्रॉपर्टी के टैक्सेशन से जुड़े मुद्दों में मदद मिलेगी और सरकारी प्रॉजेक्ट्स के लिए जमीन का अधिग्रहण करना आसान होगा। यह लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में कदम होगा।
यह किसी इन्सान को मिलने वाले आधार की तरह होगा। एक नंबर से प्लॉट की खरीद-बिक्री, टैक्स के भुगतान और मालिकाना हक से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी। सरकार लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन को लेकर अब आगे बढ़ रही है। यह जीआईएस-टैग्ड होने के कारण किसी भी जमीन के विवरण हासिल करना आसान हो जाएगा।
ऐसा अनुमान है कि देश की अदालतों में लंबित मामलों में जमीन से जुड़े विवादों की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई की है। ऐसे मामलों के समाधान में कई वर्ष लगते हैं और इससे इन जमीनों पर निर्भर सेक्टर्स और प्रॉजेक्ट्स पर असर पड़ता है। इसके अलावा लोन लेने के लिए अक्सर जमीन का इस्तेमाल जमानत देने की खातिर किया जाता है। जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद होने से ऐसी जमीन गिरवी नहीं रखी जा सकती।
यूनीक आइडेंटिटी नंबर की लंबे समय से जरूरत है। इस सिस्टम को लागू करने से देश के लैंड रिकॉर्ड को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। इससे देश के रियल्टी सेक्टर में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी, जो जमीनों के मालिकाना हक को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने से निवेश करने से हिचकते हैं।
सरकार पहले ही प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस के कंप्यूटराइजेशन और सभी लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन के लिए नैशनल लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम को लागू कर रही है। हालांकि कुछ राज्यों में इसे लेकर प्रगति बहुत धीमी है। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने हाल में एक रिपोर्ट में कहा था कि देश को एक अलग डिजिटल लैंड रिकॉर्ड मिशन की जरूरत है।


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