बुधवार, 29 जनवरी 2020

परीक्षा के लिए एक्सपर्ट्स की राय

परीक्षा के लिए एक्सपर्ट्स की राय



प0नि0डेस्क
देहरादून। बोर्ड एग्जाम के समय बच्चे कन्फयूज रहते हैं। पढ़ाई का दबाव, परीक्षा की चिंता और परिवार वालों की उम्मीदों से घिरे बच्चों को परीक्षा के दिनों में क्या करना चाहिए!
अक्सर देखने को मिलता है कि परीक्षा के दिनों में विद्यार्थी घंटों पढ़ाई करने के बाद भी परेशान रहते हैं। इससे न केवल उनकी बेचैनी बढ़ती है, बल्कि उनकी दिनचर्या भी प्रभावित होती है। एक बार यह समस्या शुरू होने के बाद न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि उनकी नींद और खानपान भी प्रभावित होता है। इसकी मुख्य वजह परीक्षा से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना होता है। इससे बचने के लिए नींद बेहद जरूरी है। छात्र कोशिश करें कि परीक्षा के दिनों में वे पर्याप्त नींद ले सकें। 6 से 8 घंटे की नींद लेने से वे परीक्षा हॉल में तरोताजा महसूस करेंगे।
परीक्षा की तैयारी के समय ग्रुप स्टडी अहम होती है, लेकिन किसके साथ ग्रुप स्टडी कर रहे हैं, यह देखा जाना भी जरूरी होता है। ग्रुप स्टडी उनके साथ ही करें, जिनकी तैयारी कमोबेश आप जितनी ही हो। ऐसा भी होता है जब ग्रुप में कुछ बच्चों की अधिक पढ़ाई हुई हो और कुछ की कम। ऐसे में कम पढ़ाई करने वालों को अधिक पढ़ लिए बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाने में दिक्कत होती है। परीक्षा के दौरान ऐसे लोगों से भी दूर रहें, जो आपकी तैयारी के दौरान नीचा दिखाने की कोशिश करें।
कई बार परीक्षा पास आते ही छात्रा अचानक से 10-17 घंटे पढ़ना शुरू करे देते हैं। घबराहट में कम समय में अधिक से अधिक सिलेबस को कवर करने के चक्कर में छात्र जो पढ़ते हैं, वह उन्हें ठीक से याद नहीं होता। छात्रों को परीक्षा के आखिरी समय में पढ़ते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह जो पढ़े, ठोस पढ़े। सिलेबस खत्म करने के चक्कर में सब कुछ न पढ़ डाले। इससे तैयारी ठीक से नहीं हो पाती। बेहतर होगा कि स्टूडेंट्स पहले से ही थोड़ा-थोड़ा पढ़ते रहें।
हमारे देश में परीक्षा को अकैडमिक न मानकर, जीवन मान लिया जाता है। दूसरे बच्चों से तुलना करना और अच्छे नंबरों की चाह में अभिभावक कई बार अपने बच्चों पर उम्मीदों का पहाड़ लाद देते हैं। इससे बच्चा तनाव में आ जाता है। हर बच्चे की अलग तरह की खासियत होती है। उसके पढ़ने के तरीके से लेकर काम करने का ढंग अलग होता है। ऐसे में घर वालों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा कैसे और किस माहौल में पढ़ सकता है। उसे बेहतर करने के लिए प्रेरित करें, लेकिन बहुत अधिक उम्मीद न पालें।
बारहवीं के छात्रों को इस बार थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। इस बार साइंस के परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया है। बदलाव की सभी जानकारियां बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। परीक्षा में उत्तर लिखने के लिए पहले बच्चों को अधिक ऑप्शन मिलते थे, जो इस साल कम हुए हैं। लेकिन छात्रों को नए पैटर्न को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सिलेबस वही है, केवल पैटर्न में बदलाव किया गया है। बोर्ड की टेक्स्ट बुक के जरिए अच्छे से प्रैक्टिस करें, परिणाम बेहतर होंगे। साइंस में ध्वनि, लाइट, हीट इत्यादि चैप्टरों को अच्छे से तैयार कर लें। वहीं बायलॉजी में डायग्राम ठीक से तैयार कर लेना बेहतर होगा।
तैयारी में विराम लेना बेहद जरूरी है। लगातार पढ़ाई करते रहने से कई बार दिमाग में नई चीजें या कॉन्सेप्ट बैठते नहीं। इसके लिए बेहतर होगा कि हर दो घंटे पर एक ब्रेक जरूर लें। इस दौरान अपना पसंदीदा खेल खेल सकते हैं। आजकल ब्रेक मिलते ही बच्चे मोबाइल के इस्तेमाल में लग जाते हैं। इससे समय बर्बाद होने के अलावा ऊर्जा भी खत्म होती है। उनको चाहिए की तैयारी के दौरान किसी भी तरह के स्क्रीन ऐडिक्शन या उसके बहुत अधिक इस्तेमाल से बचें।


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