मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

मैड ने दैनिक श्रमिकों के परिवारों तक पहुंचायी राहत सामग्री

मैड ने दैनिक श्रमिकों के परिवारों तक पहुंचायी राहत सामग्री



पुराने कपड़ों के थैले बनाकर उसमें राहत सामग्री वितरित की जा रही
संवाददाता
देहरादून। मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था की ओर से कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लाकडाउन में फंसे 6 हजार दैनिक श्रमिकों के परिवारों तक आटा, दाल, चावल, मसाले, आलू, नमक तेल इत्यादि जैसी बुनियादी जरूरतों की सामग्री को पहुंचाया जा चुका है। मैड ने कहा कि संस्था का अभियान ऐसे ही आगे जारी रहेगा। 
गौर हो कि पूर्व में भी जब कोई त्रासदी हुई है, उदाहरण के तौर पर उत्तराखंड में आयी 2013 की भीषण आपदा, नेपाल में आया भूकंप, जम्मू कश्मीर, केरल, चेन्नई में आई बाढ़ इन सभी हालातों पर  मैड द्वारा अपने पॉकेट मनी संसाधनों को एकत्र कर राहत का अभियान  चलाया गया है। वर्तमान में लॉकडाउन की स्थिति भिन्न हो जाती है क्योंकि यहां राहत का कोई भी प्रयास सामाजिक दूरी और साफ-सफाई का खास ख्याल रखते हुए किया जाना जरूरी है।
अपने इस अभियान में मैड के सदस्यों ने स्वयं द्वारा या अपने माता-पिता द्वारा बनाए गए कपड़ों के बैग में राहत सामग्री पहुंचाने का काम किया है। मैड के सदस्यों द्वारा आकलन लगाया गया कि वर्तमान में जो राशन या बना हुआ खाना दैनिक श्रमिकों तक पहुंचाया जा रहा है, क्योंकि दैनिक श्रमिक अधिकांश संख्या में रिस्पना और बिंदाल तल पर ही अपना निवास कर रहे हैं, इसलिए लगभग एक लाख पॉलीबैग रिस्पना में और इतने ही बिंदाल में रोजाना अर्पित हो रहे हैं। 
ऐसे में पर्यावरण का ख्याल रखते हुए संस्था ने पुराने कपड़ों को एकत्र कर अपने कुछ उन सदस्यों में बांटा जो खुद और जिनके माता-पिता लाकडाउन के अनुपालन में घर बैठे है। उन्होंने इनके ऐसे थैले बनाये जिनमें राशन सामग्री डालकर वितरित की जा सके। इस प्रयास में मैड के सदस्यों जैसे श्रेया रोहिल्ला, सुभवी व खुशाली गुप्ता, शरद माहेश्वरी, आर्ची बिष्ट एवं करन कपूर के परिवार सदस्यों ने अहम् भूमिका निभाई।



2011 में जब संस्था की शुरुआत हुई थी तब सभी सदस्य छात्र थे और अपने जेब खर्च के संसाधन से संस्था का संचालन करते थे। 2020 तक आते आते संस्था के कई सदस्य जो उस समय टीन एजर्स थे वह अब ऐसी भूमिका में पहुंच गए जब वह अपना खुद की कमाई कर रहे हैं। उनके द्वारा जो सामूहिक कॉन्ट्रिब्यूशन हुआ। उससे मैड की ओर से भारी मात्रा में राशन को खरीदा जा सका। 
कुछ हफ़्तों बाद जब वह भी खत्म होने लगा तो मैड द्वारा एक अलग तरीके को अपनाया गया। अपने शुरुआती सिद्धांत को बनाए रखते हुए कि अपने सामाजिक कार्य के लिए और किसी से कोई एक रुपये का भी डोनेशन नहीं लंेगे, मैड की ओर से सीधे किसी भी शुभचिंतक को जो दान करने को इच्छुक था उसे उस विक्रेता से जोड़ दिया गया जिससे मैड आलू, चावल, आटा, इत्यादि ले रहा था। इससे जो दानकर्ता था वह सीधे विक्रेता को पैसे भेज देता और मैड को जो राशन की जरूरत थी वह पूरी हो जाती। इसी माध्यम से कार्य करते हुए मैड के लिए संभव हुआ कि वह अब तक लगभग 14 लाख रुपए तक का राहत सामग्री वितरित कर चुका है। 
इस अभियान में हृदयेश, रूपांजलि, गौरव, पंकज बिष्ट, आर्ची बिष्ट, नवीन, प्रियांशी, अभिषेक, जाह्नवी, रितिका, शार्दुल असवाल, देवेश, स्वाति सिंह, सिड, दक्ष, गौरव, हिमालय रमोला, सार्थक, प्रतीक, आंचल, प्रेरणा, अभिषेक जौनसारी, कपिल शर्मा, स्वाति माहेश्वरी, सुरेश कुमार, अस्मिता, रिया, रजत पंवार, सौरभ नौटियाल, सारंग गोडबोले, उषा नेगी, रुशील, रजत, अनिरुद्ध, शालिनी ममगाईं, रितिका, स्वर्णिम, शिव्या, अलंकृत, सुभावी, अवनीश, सम्मानिका रावत, सृष्टि, पल्लवी भाटिया, भावना, सुभम बसक, राजन्या नंदी, अनन्या, संगीता, श्रीमती जुल्का, नवीन, रितिका खैरोला, कपिल , मुकुल, मुदित, शिवम, संदीप, वाणी, नीलिमा, नीलम, सिधांशु, प्रत्युष, अलका कुकरेती, शभनम, आदर्श, अंकित उनियाल, रजनीश, आस्था, सौरव जोशी, विवेक, गगन धवन, रोहिणी मनोचा पुरी, अभिषेक और स्नेहा ने योगदान दिया।
इसके अलावा संस्था ने सैनिटरी नैपकिन उन क्षेत्रों तक पहुंचाना, जहां इनकी जरूरत है, की पहल की। सैनिटरी नैपकिन वितरण के दौरान एक बालिका ने मेड की स्वयंसेवी को बताया कि सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध न होने की वजह से उसे इस्तेमाल किए हुए कपड़े का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। इस वजह से सैनिटरी नैपकिन को इस पहल में शामिल कर दिया गया है।
मैड का अभियान उत्तराखंड पुलिस के सहयोग से चल रहा है। सेलाकुई तक मैड के बनाए हुए राशन सामग्री पहुंची है और साथ ही साथ विशेष तौर पर रिस्पना पर ध्यान केंद्रित करतें हुये मैड नेहरू कॉलोनी पुलिस थाने के साथ काम कर रहा है। मैड के कुछ स्वयंसेवक नेहरू कॉलोनी पुलिस थाने में महिला बन्दीगृह के बाहर बैठकर उनके पैकेट बनाने में मदद कर रहे है क्योंकि जो अन्य संस्थाओं द्वारा राहत सामग्री पुलिस को प्रदान की गई है उनके पैकेट बनाने की जिम्मेदारी मैड के युवाओं ने उठाई है।
इसी तरह पुराने कपड़े इकट्ठा कर उनसे संस्था थैले बनाकर उनमें राशन वितरण कर रहा है। मैड इस बात से भलीभांति अवगत है कि दैनिक श्रमिक अपनी मेहनत की कमाई खाते हैं इसलिए इस संकट की घड़ी में संस्था की ओर से उनके साथ खड़े होने का एक छोटा सा प्रयास किया जा रहा है।
अभियान का नेतृत्व मैड संस्थापक अभियाज नेगी और अध्यक्ष करन कपूर कर रहे हैं। साथ ही संस्था के पुराने सदस्य जैसे हिमालय, अरनव रमोला, सम्मानिका रावत और सौरभ नौटियाल भी अभियान से जुड़े हुए हैं। जबकि सौरव जोशी, राहुल गुरु, आयुष जोशी, रजत सिंघल, प्रदीप, गायत्री, अंकित, वसु, विजय प्रताप सिंह, सात्विक, दारिश मालिक, शरद माहेश्वरी, हिमालय रमोला, अक्षिता धवन, अभिजय नेगी, शार्दुल सिंह राणा, गगन धवन, यश सिंघल व उनकी मां और करन कपूर व् उसके माता-पिता इस अभियान में सामान की पैकिंग और वितरण के काम में लगे हुए हैं।


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