बुधवार, 20 मई 2020

कोरोना महामारी का दंश झेल रहे देश के सैनिक!

देशभर में लागू लाकडाउन की वजह से पेंशन एवं छुट्टी आने-जाने वाले फंसे
कोरोना महामारी का दंश झेल रहे देश के सैनिक!



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। वैश्विक महामारी के कहर से शायद ही कोई ऐसा हो जो प्रभावित न हुआ हो। विश्व भर के देश, जनता और उनके काम धंधे, सब कुछ जैसे थम सा गया है। कोरोना वायरस के कारण देश के सैनिक भी प्रभावितों की सूची में है। 
देश के विभिन्न इलाकों में तैनात हजारों सैनिक फंसे हुए है। जो छुट्टी गए थे, वे वहीं फंस गए और जिन्होंने जाना था, वे भी अपने अपने तैनाती स्थलों पर फंसे पड़े है। लाकडाउन के कारण इन दिनों जिन सैनिकों ने पेंशन निकलना था, उनका कारवां भी जहां का तहां रूक गया है। चूंकि आने जाने का साधन उपलब्ध नहीं इसलिए सैनिकों का आवागमन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जबकि मूवमेंट किसी भी सेना के लिए सबसे अहम चीज होती है।
कल्पना कीजिये कि एक जवान जो कई महीनों से छुट्टी जाने के लिए अपने रिलीवर का इंतजार कर रहा था, वह आ नहीं सकता और यदि आ भी गया तो वह जवान छुट्टी जा नहीं सकता। इसी तरह से हालिया दिनों में जिन जवानों ने पेंशन आउट होना था, उनमें से बहुत से जवानों से अपनी छुट्टी बचा कर रखी थी कि रूखसती के समय घर से सीध्ेा सेंटर रिपोर्ट करेंगे, वे भी फंसे पड़े है। 
इसका मुख्य कारण यह है कि देश के अंदरूनी इलाकों में सेना का मूवमेंट सिविल ट्रांसपोर्ट पर निर्भर होता है। जबकि सीमावर्ती इलाकों या फील्ड में वह स्वयं की कानवाय के जरिए अपने जवानों का आवागमन जारी रखती है। चूंकि मामला लोकल आवागमन का है इसलिए सेना लोकल अथारिटी पर निर्भर है। इसके अलावा कोरोना संक्रमण का रिस्क भी मौजूद है इसलिए जोखिम नहीं लिया जा सकता। हालांकि पीस स्टेशनों पर मौजूद जवानों को छुट्टी पर भेजा जा सकता है या छुट्टी गए जवानों की उनकी यूनिटों में वापसी करवायी जा सकती है। 
खासकर रिटायर होने वाले ऐसे जवान जिन्हें सेंटर रिपोर्ट करने से पहले छुट्टी काटनी है, उनको भले ही सेंटर रिपोर्ट करने से छूट मिले परन्तु छुट्टी पर तो भेजा ही जा सकता है। सम्मान के साथ सेवानिवृति जवानों का हक है। उन्हें अपने हाल में नहीं छोड़ा जा सकता। यदि प्रवासी अपने अपने राज्यों में स्पेशल ट्रेनों से आ सकते है तो ऐसे सैनिक जो पेंशन निकल रहें है और उन्होंने अपनी छुट्टी बचा रखी है, को भी घर भेजा जाना चाहिये।
इसी तरह से जो जवान छुट्टी पर घर आये थे, उन्हें छुट्टी पूरी होने पर वापस लाये जाने के इंतजाम किए जाने चाहिये ताकि अन्य जवानों को भी समय से छुट्टी जाने का अवसर मिल सके। भले ही ऐसा करने में रिस्क है लेकिन कोरोना से बचाव के नियमों का पालन किया जाये तो सुरक्षित भी रहा जा सकता है। फिर आमजन की बनिस्पत अनुशासित जवानों से कोरोना से बचाव के तमाम कायदों के अनुपालन की उम्मीद तो की ही जा सकती है। 
उनके वेलफेयर के बारे में आवाज उठाना भी मानवता के नाते जरूरी है क्योंकि वहां से कोई बोलेगा नहीं।


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