बुधवार, 20 मई 2020

स्कूलों को भी कुछ रहमदिल होना होगा 

स्कूलों को भी कुछ रहमदिल होना होगा 



सरकार के अलावा स्कूलों का भी दायित्व है राहत प्रदान करना
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। कोरोना वायरस का आतंक और देशभर में लाकडाउन से सारा काम धंधा चौपट हो गया है। हर कोई जैसे तैसे अपना काम चला रहा है। वहीं लाकडाउन भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लाकडाउन का एक सत्र खत्म नहीं होता कि दूसरा सत्र चालू कर दिया जाता है। इस तरह से देश में देखते देखते लाकडाउन 4.0 शुरू हो गया है। ऐसे ही हालात रहे तो लोगों का आर्थिक संकट गहरा जायेगा। हालांकि कोरोना संकट को देखते हुए सरकार यथासंभव प्रयास कर रहीं है लेकिन इलाज के अभाव में बचाव के अलावा उसके पास कोई दूसरा कारगर उपाय नहीं है। 
यह भी संभव है कि आगे भी लाकडाउन को जारी रखना पड़े। और काम धंधे के ठप्प होने की वजह से लोगों को नौकरियां गंवानी पड़े और देश में आर्थिक मंदी से हालात हो जाये। यह प्रभाव जल्द ही जाने वाला नहीं है। ऐसे मुश्किल हालात में देशभर में निजी स्कूलों से फीस माफ किए जाने की मांग हो रहीं है। लेकिन सरकार और स्कूल असमंजस में है। क्योंकि स्कूलों को भी अपने स्टाफ आदि का खर्चा उठाना है। सरकार के सामने चुनौती है कि किस किस को वह राहत प्रदान करें। पहले ही लोगों को राशन पानी और रोजगार मुहैया करवाने की चुनौती उसके सामने है। लोगों की जान भी बचानी है और उनके पेट का इंतजाम भी करना है।
ऐसे में जरूरी है कि देशभर के तमाम निजी स्कूल भी दरियादिली दिखाते हुए ट्यूशन फीस में कटौती कर अभिभावकों को राहत प्रदान करे। हाल ही में कुछ स्कूलों एवं सरकारों ने ऐलान किया था कि स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई शुल्क नहीं लेंगे लेकिन यह सरासर चालाकी है। गौर फरमाये कि अन्य शुल्क स्कूल साल में एक या दो बार वसूलते है। बाकी साल भर स्कूल बस और ट्यूशन फीस ही वसूलते है। ऐसे में यदि सरकार और स्कूल बोले कि मात्र ट्यूशन फीस ही ली जायेगी तो यह राहत के नाम पर धोखा है। इसका उपाय क्या हो कि स्कूल भी झेल सकें और सरकार को भी कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े। कायदे से निजी स्कूलों को चाहिये कि वह अपने ट्यूशन फीस में कटौती करें। यह कटौती देश के हालात को देखते हुए पचास फीसदी या अधिक हो सकती है। क्योंकि कोरोना संकट में यह संभव नहीं कि अभिभावक तो सड़क पर आ जायें और स्कूल चांदी काटें। 
वैसे इस मुद्दे पर बहुत से लोग राजनीति भी कर रहें है। स्कूलों पर राहत के नाम पर दबाव डालकर लूटा भी नहीं जा सकता। लेकिन उन्हें चाहिये कि वे कोरोना महामारी के संकट काल में अभिभावकों की मजबूरी को समझते हुए स्कूल फीस में रियायत दें। क्योंकि आज महामारी के दौर में करीब करीब हर कोई गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। जो बचे भी है, उन्हें भी आने वाले वक्त में कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा। हर कोई कोरोना की वजह से मुसीबत में है, ऐसे में कुछ त्याग स्कूलों को भी करना ही होगा। अब यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है कि वे ऐसा स्वेच्छा से करेंगे या चाबुक चलेगा तब ऐसा किया जायेगा।


माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

  माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...