शनिवार, 22 अगस्त 2020

पितृपक्ष के एक माह बाद शुरू होगा नवरात्र

पितृपक्ष के एक माह बाद शुरू होगा नवरात्र

पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। आमतौर पर पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता है। पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्रा का आरंभ हो जाता है। परन्तु इस बार श्राद्व पक्ष समाप्त होते ही अधिमास लग जायेगा। इस साल पितृपक्ष 1 सितंबर से शुरू होकर 17 सिंतबर तक चलेगा। सभी श्राद्व कर्मकांड इस दौरान किए जाएंगे और पितरों को तर्पण भी किया जाएगा। लोग अपने-अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान इस दौरान करते हैं ताकि पितरों का आशीर्वाद उन पर बना रहे।
अधिमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जायेगा। अश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना, ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है। लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। चातुर्मास जो हमेशा 4 महीने का होता है, इस बार 5 महीने का होगा। इस बार 165 साल बाद लीप इयर और अधिमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं।
चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागृत होते हैं। इस साल 17 सितंबर को श्राद्व खत्म होंगे, इसके अगले दिन अधिमास शुरू हो जायेगा जो 16 अक्तूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्तूबर से नवरात्रि व्रत रखे जायेंगे।
एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। यह अंतर हर 3 वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर 3 साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिमास का नाम दिया गया है।


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