शनिवार, 12 सितंबर 2020

देश में हर साल लाखों लोगों की मौत की वजह आत्महत्या

देश में हर साल लाखों लोगों की मौत की वजह आत्महत्या


प0नि0ब्यूरो
देहरादून। देश में आत्महत्या की वजह हुई मौतों के आंकड़े डराने वाले है। वर्ष 2019 में देश में 1.39 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत की वजह आत्महत्या रही। इसमें भी वर्ष 2018 के मुकाबले 3.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2019 में आत्महत्या से मरने वालों में पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 70.2 के मुकाबले 29.8 था। मरने वालों में 97,613 पुरुष थे। उनमें सबसे ज्यादा संख्या (29,092), दिहाड़ी पर काम करने वालों की थी। जबकि 14,319 पुरुष स्व-रोजगार में थे और 11,599 बेरोजगार थे।
मरने वालों में कुल 41,493 महिलाएं थीं। जिनमें 21,359 गृहणी, 4,772 विद्यार्थी और 3,467 दिहाड़ी पर काम करने वाली थीं। महिलाओं में आत्महत्या का बड़ा कारण दहेज और विवाह में उत्पन्न हुई अन्य समस्याओं को पाया गया। इनमें नपुंसकता और इनफर्टिलिटी भी शामिल हैं।
पारिवारिक कलह को आत्महत्या के सबसे ज्यादा (32.4 फीसदी) मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है। 17.1 पफीसदी मामलों में आत्महत्या का कारण बीमारी थी। इसके अलावा 5.6 फीसदी मामलों के पीछे ड्रग्स की लत, 5.5 फीसदी मामलों के पीछे विवाह संबंधी कारण, 4.5 फीसदी मामलों के पीछे नाकाम प्रेम-प्रसंग और 4.2 फीसदी मामलों के पीछे दिवालियापन को कारण पाया गया।
करीब 2,851 आत्महत्या के लिए बेरोजगारी को जिम्मेदार पाया गया। आत्महत्या से मरने वालों में करीब 14,019 लोग बेरोजगार थे। ऐसे सबसे ज्यादा मामले कर्नाटक में सामने आये। उसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड और गुजरात का नंबर आता है।
आत्महत्या से मरने वालों में करीब 42,480 किसान और दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग थे। इनमें 10,281 किसान और 32,559 दिहाड़ी कमाई वाले थे। किसानों में 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थीं। कृषि श्रमिकों में 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थीं। दिहाड़ी कमाई वालों में 29,092 पुरुष और 3,467 महिलाएं रहीं। इनमें से 67 फीसदी 93,061, लोगों की उम्र 18-45 साल के बीच थी। युवाओं में आत्महत्या के मामले 2018 के मुकाबले चार फीसदी बढ़े है।
आत्महत्या के तरीकों में फांसी के मामले सबसे ज्यादा है। 53.6 फीसदी करीब 74,629 लोगों ने खुद को फांसी लगा ली। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र में सामने आए। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में पूरे देश के कुल मामलों में से 50 फीसदी मामले पाए गए लेकिन आत्महत्या की दर चार दक्षिणी राज्य केरल, कर्नाटक, तेलांगना और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पाई गई। बिहार में दर सबसे काम पाई गई लेकिन वहां 2018 के मुकाबले मामले 44.7 फीसदी बढ़ गए।
मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या में लोग 23.3 फीसदी मैट्रिक तक ही पढ़े लिखे थे। सिर्फ 3.7 फीसदी ने स्नातक या उससे ऊपर की पढ़ाई की थी। 66.2 फीसदी लोगों की सालाना आय एक लाख रुपए से भी कम थी, जब कि 29.6 फीसदी की आय एक लाख से पांच लाख के बीच थी।


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