मृतकों के दिल को जिंदा कर बच्चों में किया ट्रांसप्लांट
एजेंसी
लंदन। ब्रिटेन के डाक्टरों ने पहली बार एक खास किस्म की मशीन का इस्तेमाल करके ऐसे दिल का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है, जो धड़कना बंद कर चुके थे। अब तक 6 बच्चों में ऐसे दिल को ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। ये सभी बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं। इससे पूर्व केवल उन व्यक्तियों का ही हार्ट ट्रांसप्लांट होता था, जो ब्रेन डेड घोषित होते थे।
ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के डाक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट की तकनीक में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। केंब्रिजशायर के रायल पेपवर्थ अस्पताल के डाक्टरों ने आर्गन केयर मशीन के जरिए मृत व्यक्तियों के दिल को जिंदा कर 6 बच्चों के शरीर में धड़कन पैदा कर दी।
यह उपलब्धि हासिल करने वाली यह दुनिया की पहली टीम बन गई है। एनएचएस के आर्गन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन विभाग के डायरेक्टर डा0 जान फोर्सिथ ने कहा कि हमारी यह तकनीक सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, पूरी दुनिया में मील का पत्थर साबित होगी।
इस तकनीक से 12 से 16 साल के 6 ऐसे बच्चों को नया जीवन मिला, जो पिछले दो-तीन सालों से अंगदान के रूप में हार्ट मिलने का इंतजार कर रहे थे। अब लोग मरणोपरांत हार्ट डोनेट कर सकेंगे। लोगों को ट्रांसप्लांट के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
एनएचएस के डाक्टरों ने ‘आर्गन केयर सिस्टम’ मशीन बनाई है। मृत्यु की पुष्टि होते ही डोनर के दिल को तुरंत निकालकर इस मशीन में रखकर 12 घंटे तक जांचा जाता है और उसके बाद ट्रांसप्लांट किया जाता है। डोनर से मिले दिल को जिस मरीज के शरीर में लगाना है, उसके शरीर की जरूरत के मुताबिक आक्सीजन, पोषक तत्व और उसके ग्रुप का ब्लड इस मशीन में रखे दिल में 24 घंटों तक प्रवाहित किया जाता है।
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