सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

लंबे समय तक तकिया न बदलने से हो सकता है नुकसान

 लंबे समय तक तकिया न बदलने से हो सकता है नुकसान



प0नि0डेस्क

देहरादून। रातभर सोने के बाद भी सुबह उठने के बाद अगर थकावट महसूस होती है तो इसकी वजह तकिया भी हो सकता है। आजकल बाजार में कई तरह के तकिए मिलते हैं। लेकिन तकिए का असल काम गर्दन को सपोर्ट देने और शरीर के पाश्चर को सही बनाए रखना होता है। खराब गुणवत्ता या बहुत पुराना तकिया इस्तेमाल करने से व्यक्ति की मांसपेशियों में दर्द पैदा हो सकता है। तो ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि तकिया आखिर कब एक्सपायर हो रहा है या उसे कब बदल देना चाहिए।

अगर तकिए में गांठें पड़ गई हों या उसके अंदर भरी गई रूई या फाम एक ओर हो जाता हो तो समझ जाएं कि उसे बदलने का अब सही समय आ गया है। तकिए को इस्तेमाल करने से पहले अगर उसे हाथों से शेप देने की जरूरत पड़ती हो तो जान लें कि तकिया खराब हो चुका है। 

तकिए की औसतन उम्र 18 से 24 महीने होती है। हर दो साल में अपना तकिया जरूर बदलें। तकिया इस्तेमाल करने योग्य है या नहीं, इसका पता एक साधारण टेस्ट करके भी लगा सकते हैं। इसके लिए तकिए को बीचोंबीच मोड़ें और 30 सेकेंड्स तक दबाकर छोड़ दें। यदि तकिया दोबारा अपनी शेप नहीं लेता तो समझ जाएं कि तकिया बदलने की जरूरत है।

तकिया ऐसा होना चाहिए जो सोते समय पीठ और गर्दन दोनों को सहारा दे। ऐसा तकिया जो बहुत कठोर, बहुत लंबा या बहुत नरम होता है वह गर्दन को विषम स्थिति में डालकर पीठ और गर्दन में दर्द का कारण बन सकता है। ऐसे में तकिया ऐसा चुनें जो सिर को थोड़ा ऊंचा रखते हुए गर्दन, पीठ, सिर और कंधों को सपोर्ट करे।


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